नोबेल पुरस्कार विजेता स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा की कविता
"You Start Dying Slowly"
का हिन्दी अनुवाद...
1) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप :
- करते नहीं कोई यात्रा,
- पढ़ते नहीं कोई किताब,
- सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ,
- करते नहीं किसी की तारीफ़।
2) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, जब आप :
- मार डालते हैं अपना स्वाभिमान,
- नहीं करने देते मदद अपनी और
न ही करते हैं मदद दूसरों की।
3) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप :
- बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के,
- चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे,
- नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार,
- नहीं पहनते हैं अलग-अलग रंग, या
- आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान।
4) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप :
- नहीं महसूस करना चाहते आवेगों को,
-और उनसे जुड़ी अशांत भावनाओं को,
- वे जिनसे नम होती हों आपकी आँखें,
और करती हों तेज़ आपकी धड़कनों को।
5) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप :
- नहीं बदल सकते हों अपनी ज़िन्दगी को,
जब हों आप असंतुष्ट अपने काम और परिणाम से,
- अग़र आप अनिश्चित के लिए नहीं छोड़ सकते हों निश्चित को,
- अगर आप नहीं करते हों पीछा किसी स्वप्न का,
- अगर आप नहीं देते हों इजाज़त खुद को,
अपने जीवन में कम से कम एक बार,
किसी समझदार सलाह से दूर भाग जाने की...।
*तब आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं...!!!*
इस सुन्दर कविता के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता,
स्पेनिश कवि, पाब्लो नेरुदा का, बहुत-बहुत धन्यवाद !
"You Start Dying Slowly"
का हिन्दी अनुवाद...
1) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप :
- करते नहीं कोई यात्रा,
- पढ़ते नहीं कोई किताब,
- सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ,
- करते नहीं किसी की तारीफ़।
2) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, जब आप :
- मार डालते हैं अपना स्वाभिमान,
- नहीं करने देते मदद अपनी और
न ही करते हैं मदद दूसरों की।
3) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप :
- बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के,
- चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे,
- नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार,
- नहीं पहनते हैं अलग-अलग रंग, या
- आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान।
4) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप :
- नहीं महसूस करना चाहते आवेगों को,
-और उनसे जुड़ी अशांत भावनाओं को,
- वे जिनसे नम होती हों आपकी आँखें,
और करती हों तेज़ आपकी धड़कनों को।
5) आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप :
- नहीं बदल सकते हों अपनी ज़िन्दगी को,
जब हों आप असंतुष्ट अपने काम और परिणाम से,
- अग़र आप अनिश्चित के लिए नहीं छोड़ सकते हों निश्चित को,
- अगर आप नहीं करते हों पीछा किसी स्वप्न का,
- अगर आप नहीं देते हों इजाज़त खुद को,
अपने जीवन में कम से कम एक बार,
किसी समझदार सलाह से दूर भाग जाने की...।
*तब आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं...!!!*
इस सुन्दर कविता के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता,
स्पेनिश कवि, पाब्लो नेरुदा का, बहुत-बहुत धन्यवाद !
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