TARGET GROUP:
Children studying in Balvatika to Grade VIII
will be part of this campaign.
They will further
be categorised in three groups class wise:
GROUP I: BALVATIKA TO GRADE II
GROUP II: GRADE III TO GRADE V
GROUP III: GRADE VI TO GRADE VIII
V.
DURATION OF THE CAMPAIGN:
The reading campaign will be organised for 100
days (14 weeks) starting from January 2022 to
April 2022.
AT NATIONAL LEVEL FOLLOWING ACTIVITIES WILL BE
UNDERTAKEN TO KEEP THE MOMENTUM OF THE CAMPAIGN:
Organise ‘READATHON’ on the lines of Toycathon
Awareness Drive:
Press releases, Social media campaign, infographics, etc.
Story telling by Hon’ble Education Minister, State Ministers, Chief Ministers,
State Education Ministers, etc. in regional languages
Webinars on the importance of reading
Video/Audio message from Children book writers (Ruskin Bond, Shudha
Murthy, Nilesh Misra for story telling)
Reading Aloud of stories by teachers as well as community members in
regional languages
Partnership with CSOs, FM channels, Newspapers (local and regional)
Story telling sessions to
be organised by involving
Parents and Grand
Parents.
Celebration of 21st February as
International Mother Tongue Day
Kahani Padho Apni Bhasa Main (Reading story
in own language) to be conducted across the
country during this period.
RESOURCES:
Various resources will be made available at FLN vertical of
DIKSHA portal,
‘KAHANIYON KA PITARA’ etc.
States and UTs may also explore other resources such as
National
Council of Educational Research and Training (NCERT),
National Book
Trust (NBT)
HINDI BOOKS
Story weaver (https://storyweaver.org.in),
Pratham books
(https://prathambooks.org),
Room to Read Cloud
(https://literacycloud.org),
eklavya FLIP BOOKS
EKLAYA PDF BOOKS
EKLAVYA MAGAZINES-
यूँ तो चकमक को बड़े भी चाव से पढ़ते हैं पर मुख्यतौर पर यह 11-14 साल के इर्द-गिर्द के पाठकों को ध्यान में रखकर बुनी जाती है। चकमक बच्चों को एक समझदार इंसान के रूप में जानती है। इसलिए चकमक में दुनिया के तमाम विषयों पर सामग्री पेश की जाती है। चकमक बच्चों को महज़ परियों, राजा-रानियों के लिजलिजी भाषा में लिखे किस्से-कहानियों तक सीमित रखने की सोच पर सवाल खड़े करती है। चकमक जिस गर्मजोशी से कल्पनाशील साहित्य का इस्तकबाल करती है वैसे ही वह यथार्थ से भी अपने पाठकों को परिचित कराती चलती है। चकमक मानक, जड़ भाषा की जगह लचीली और जीवन्त भाषा की सिफारिश करती है। बच्चों से समानता की भाषा में बात करती है। चकमक में साहित्य व विज्ञान आदि के अलावा कला पर विशेष तौर पर सामग्री पेश की जाती है। कला के नाम पर बच्चों को आम तौर पर बेहद सीमित अर्थों में चित्रकला को सराह पाने के मौके मिलते हैं। वे सकारात्मक पहल की आशा से बड़ों की तरफ देखते हुए अकसर तिकोने पहाड़ों के बीच से उगते सूरजों के इर्द-गिर्द जूझते रहते हैं। चकमक उन्हें जाने-माने कलाकारों के साथ कला की दुनिया के विस्तृत सफर पर ले जाती है। जहाँ उन्हें कला के अनुभव में शामिल होने का मौका मिलता है। चकमक में कथाएँ पाठक के लिए एक अनुभव बनकर आती हैं। इन कथाओं की जड़ जीवन के ठीक पड़ोस में होती है। इसलिए उन्हें पढ़ते-सुनते हुए अपने आसपास के जीवन की गंध आती रहती है।
EKLAVYA MAGAZINES-
etc.
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week -6 Analysis of recipe
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