श्रीमानजी द्वारा पुस्तकोउपहार मे जो पुस्तकें
विदयालय को भेट की गई.
और
पुस्तकालय द्वारा पंचकूला पुस्तक मेला मे खरीदी गई पुस्तकों की
परदर्शनी पुस्तकालय में आयोजित की गई है ।
हरियाणा किताबों में
HARYANA IN BOOKS
श्रीमानजी द्वारा पुस्तकोउपहार मे जो पुस्तकें
विदयालय को भेट की गई.
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पुस्तकालय द्वारा पंचकूला पुस्तक मेला मे खरीदी गई पुस्तकों की
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BLOG FOCUS-
COUNTRY FIRST,HEALTH & HYGIENE,GRATITUDE / VALUES, NOTHING IS FREE (work Hard) ENVIRONMENT, ROAD SAFETY & TRAFFIC RULES, LANGUAGE, SCIENTIFIC TEMPERAMENT & LIFE SKILLS.
1. नामाखिलस्य व्यवहारहेतु: शुभावहं कर्मसु भाग्यहेतु:।
नाम्नैव कीर्तिं लभते मनुष्य-स्तत: प्रशस्तं खलु नामकर्म।
जैसा नाम है समाज में उसी प्रकार उसका सम्मान और उसका यश कीर्ति बढ़ती है.
{वीरमित्रोदय-संस्कार प्रकाश}
2 आयुर्वर्चो भिवृद्धिश्च सिद्धिर्व्यवहृतेस्तथा ।
नामकर्मफलं त्वेतत् समुद्दिष्टं मनीषिभि:।।
व्यवहार की सिद्धि आयु एवं ओज की वृद्धि के लिए श्रेष्ठ नाम होना चाहिए.
{स्मृति संग्रह}
नाम कैसा हो--नाम की संरचना कैसी हो
3. द्व्यक्षरं चतुरक्षरं वा घोषवदाद्यंतरस्थं।
दीर्घाभिनिष्ठानं कृतं कुर्यान्न तद्धितम्।।
अयुजाक्षरमाकारान्तम् स्त्रियै तद्धितम् ।।
{पारस्करगृह्यसूत्र 1/7/23}
गृह कार्य
उपरोक्त तीन श्लोक के साथ निम्न भी उत्तर पुस्तिका मे लिखे।
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COUNTRY FIRST,HEALTH & HYGIENE,GRATITUDE / VALUES, NOTHING IS FREE (work Hard) ENVIRONMENT, ROAD SAFETY & TRAFFIC RULES, LANGUAGE, SCIENTIFIC TEMPERAMENT & LIFE SKILLS.
1. I, My Family& My Society
मैं, मेरा परिवार और समाज: एक परिचय :
2. Economics- Value of Money.
पैसे और उसका महत्त्व.
3. Life Skills.
जीवन कौशल
4. Safety Basics
सुरक्षा
5 Gardening Basics
बागवानी
6. Cooking Basics
रसोई शास्त्र
7. Traffic rules and Road Safety.
सड़क सुरक्षा एवं यातायात नियम
8. Gratitude
कृतज्ञता.
9. Purpose of Education
शिक्षा का उदेश्य.
10. IKigai: Purpose of Life.
इकिगाई. जीवन का उदेश्य.
............................................................
Here is a list of personal life skills:
There are lots of different reasons why life skills aren’t taught in schools, such as:
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COUNTRY FIRST,HEALTH & HYGIENE,GRATITUDE / VALUES, NOTHING IS FREE (work Hard) ENVIRONMENT, ROAD SAFETY & TRAFFIC RULES, LANGUAGE, SCIENTIFIC TEMPERAMENT & LIFE SKILLS.
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Principles of this Policy
The purpose of the education system is to develop good human beings capable of rational thought and action, possessing compassion and empathy, courage and resilience, scientific temper and creative imagination, with sound ethical moorings and values.
It aims at producing engaged, productive, and contributing citizens for building an equitable, inclusive, and plural society as envisaged by our Constitution. A good education institution is one in which every student feels welcomed and cared for, where a safe and stimulating learning environment exists, where a wide range of learning experiences are offered, and where good physical infrastructure and appropriate resources conducive to learning are available to all students.
The Vision of this Policy: This National Education Policy envisions an education system rooted in Indian ethos that contributes directly to transforming India, that is Bharat, sustainably into an equitable and vibrant knowledge society, by providing high-quality education to all, and thereby making India a global knowledge superpower. The Policy envisages that the curriculum and pedagogy of our institutions must develop among the students a deep sense of respect towards the Fundamental Duties and Constitutional values, bonding with one’s country, and a conscious awareness of one’s roles and responsibilities in a changing world. The vision of the Policy is to instill among the learners a deep-rooted pride in being Indian, not only in thought, but also in spirit, intellect, and deeds, as well as to develop knowledge, skills, values, and dispositions that support responsible commitment to human rights, sustainable development and living, and global well-being, thereby reflecting a truly global citizen.
Part I. SCHOOL EDUCATION
This policy envisages that the extant 10+2 structure in school education will be modified with a new pedagogical and curricular restructuring of 5+3+3+4 covering ages 3-18 as shown in the representative figure and elaborated in detail later under Chapter 4. Currently, children in the age group of 3-6 are not covered in the 10+2 structure as Class 1 begins at age 6. In the new 5+3+3+4 structure, a strong base of Early Childhood Care and Education (ECCE) from age 3 is also included, which is aimed at promoting better overall learning, development, and well-being
| शिक्षा नीति नाम | राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020(NEP) |
| समिति नाम | के. कस्तूरीरंगन समिति |
| कस्तूरी रंगन कमेटी का गठन | 2017 में (आठ सदस्य) |
| भाग | 4 |
| अध्याय | 27 |
| समिति अध्यक्षता | डॉ. के. कस्तूरीरंगन |
| मंजूरी मिली | 29 जुलाई, 2020 |
| प्रतिस्थापित हुई | राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई) 1986 |
| शिक्षा का स्वरूप | 5+3+3+4(नया पेटर्न) |
| मूलभूत स्तंभ | पहुंच , इक्विटी , गुणवत्ता , सामर्थ्य और जवाबदेही |
| उद्देश्य | भारत को वैश्विक शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी स्थान दिलवाना |
NEP 2020 के 5 आधारभूत स्तंभ: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) को भारतीय शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार और विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह नीति 5 मुख्य आधारभूत स्तंभों पर आधारित है, जो इसे समग्र और दूरदर्शी बनाते हैं। ये स्तंभ शिक्षा के हर स्तर पर गुणवत्ता, समावेशिता, और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करते हैं। NEP 2020 पांच स्तंभों पर आधारित है –
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की विशेषताएं : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के उद्देश्य से बनाई गई है। यह नीति स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, हर स्तर पर व्यापक बदलाव और सुधार का प्रस्ताव करती है। इसकी विशेषताएं इसे समावेशी, लचीला, और 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप बनाती हैं।
1. शिक्षा की संरचना में बदलाव – पुरानी शिक्षा नीति के स्थान पर 5+3+3+4 संरचना को लागू किया गया है। इसमें फाउंडेशनल, प्रिपरेटरी, मिडिल और सेकेंडरी स्टेज को शामिल किया गया है।
2. उच्च शिक्षा में सुधार – उच्च शिक्षा में छात्र अपनी पढ़ाई को लगातार जारी रख सकता है। छात्रों को 3 साल के स्नातक पाठ्यक्रम के विकल्प दिए गए है। छात्र द्वारा किसी कारणवश बीच में पढ़ाई छोड़ने पर से पुनः प्रवेश और निकास का विकल्प मिलेगा और साथ ही सर्टिफिकेट (1 साल), डिप्लोमा (2 साल) और डिग्री (3 साल) प्रदान की जायेगी। इस प्रकार वो अपनी शिक्षा को बहुत सुनिश्चित और प्रभावी तरीके से पूरा कर सकते है।
3. डिजिटल शिक्षा – छात्रों को ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा प्रदान की जाएगी। इसके लिए विशेष ई-लर्निंग और डिटिजल संसाधन का उपयोग किया जाएगा।
4. शिक्षकों का प्रशिक्षण एवं विकास – शिक्षकों को नियमित प्रशिक्षण दिया जायेगा, ताकि वे अपने शिक्षण में सुधार कर सकें। इसके अतिरिक्त शिक्षकों को डिजिटल शिक्षा और तकनीकी साधनों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा। श्रेेष्ठ शिक्षकों को प्रोत्साहन और पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे।
5. बच्चों का कौशल विकास – बच्चों को किताबों का ज्ञान देने के साथ-साथ उनमें सोचने-समझने, विश्लेषण करने और रचनात्मकता करने की क्षमता की विकसित की जाती है।
6. मल्टी-डिसिप्लिनरी शिक्षा – बच्चों को प्रत्येक क्षेत्र में उनकी योग्यता के अनुसार कुशल बनाया गया है। इस शिक्षा के अंतर्गत कला, विज्ञान, खेल, व्यावसायिक शिक्षा को शामिल किया गया है। विद्यार्थी अपने रुचि के अनुसार कोई भी विषय को चुन सकता है।
7. मातृभाषा में पढ़ाई – कक्षा 5 तक शिक्षा मातृभाषा,स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में दी जाती है। जिससे बच्चे ज्यादा बेहतरीन तरीके से समझ व सीख सकते है।
8. व्यावसायिक शिक्षा का समावेश – कक्षा 6 से बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जायेगी। उनको इंटर्नशिप और प्रैक्टिल करने के अवसर भी प्रदान किये जायेंगे। जिससे उनको नये अनुभव प्राप्त होंगे और उनके कौशल का विकास होगा।
9. शिक्षा में समावेशिता – इस नीति के अंतर्गत सभी को समान रूप से शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होगा। जाति, धर्म, पंथ, लिंग और स्थान को लेकर किसी भी छात्र के साथ भेदभाव नहीं किया जायेगा। इसके अतिरिक्त कमजोर वर्गों, महिलाओं, दिव्यांग व्यक्तियों और ग्रामीण इलाकों के छात्रों के लिए विशेष प्रयास किये जायेंगे। साथ ही शैक्षिक संस्थानों की स्वायत्तता को भी बढ़ाया जायेगा।
10. पर्यावरण और नैतिक शिक्षा – छात्रों को नैतिक शिक्षा प्रदान करना। उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति आगाह करना।
11. वैश्विक स्तर पर आधारित शिक्षा – भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस खोले जायेंगे, ताकि भारतीय शिक्षा को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया जा सके।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दोष: हालांकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के उद्देश्य से एक व्यापक और दूरदर्शी पहल है, लेकिन इसके कार्यान्वयन और प्रावधानों को लेकर कुछ चुनौतियां और आलोचनाएं भी हैं। ये दोष नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने में बाधा बन सकते हैं।
1. पाठ्यक्रम का व्यापक दायरा – नयी शिक्षा नीति के अंतर्गत किताबों का पाठ्यक्रम बहुत बड़ा हो गया है। इसी कारण बच्चों पर पढ़ाई को बोझ बढ़ गया है। इसके अतिरिक्त पुराने पाठ्यक्रम को नये पाठ्यक्रम से बदलने में भी काफी समय लगेगा।
2. कार्यान्वयन में कठिनाई – नयी शिक्षा नीति 2020 के कई महत्त्वाकांक्षी प्रावधान को लागू करना एक चुनौती है। राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करना कठिन समस्या है। सभी राज्य इस नीति को लागू करने से सहमत होने चाहिए। कई राज्यों में वित्तीय संसाधनों की कमी है, जिससे वहाँ के छात्र निर्धारित स्तर तक पहुंच नहीं सकते, जिससे इस नीति के लक्ष्य भी बाधित होंगे। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित होना भी जरूरी है।
3. डिजिटल संसाधनों की कमी – ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में इंटरनेट और डिजिटल संसाधनों की कमी होती है। इस वजह से ग्रामीण क्षेत्र के छात्र डिजिटल शिक्षा से वंचित रह जायेंगे और शहरी क्षेत्रों के छात्र डिजिटल शिक्षा प्राप्त करके अपनी गुणवत्ता में अधिक बढ़ोतरी कर लेंगे। जिससे ग्रामीण छात्रों और शहरी छात्रों के बीच शिक्षा की असमानता का स्तर बढ़ जायेगा।
4. मातृभाषा में शिक्षा की कठिनता – हमारे भारत देश में भाषायी विविधता है, जिससे प्रत्येक राज्य की भाषा के अनुसार शिक्षा देना कठिन है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक क्षेत्र की मातृभाषा के अनुरूप शिक्षा देने के लिए पर्याप्त किताबें और शिक्षक उपलब्ध कराना भी मुश्किल है।
5. विदेशी शिक्षा का नकारात्मक प्रभाव – भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस खोले जायेंगे तो इससे भारत की स्थानीय संस्थानों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विदेशी शिक्षा का स्तर काफी महंगा होता है। इस महंगे स्तर की पहुंच के दायरे में ग्रामीण छात्र नहीं हो पाते। जिससे शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक असमानता बढ़ सकती है। विदेशी विश्वविद्यालयों की महंगी शिक्षा भारत की शिक्षा को भी महंगी बना देगी।
6. जटिलतापूर्ण मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम – स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम को लागू करना कठिन है, क्योंकि संस्थानों द्वारा इस सिस्टम को लागू करना एक जटिल कार्य हो सकता है।
7. शिक्षकों को नया प्रशिक्षण एक चुनौती – सभी शिक्षकों को नए तरीकों से पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह यह एक लंबी प्रक्रिया है। शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए एक सुनियोजित योजना की आवश्यकता है।
8. सामाजिक असमानता – ग्रामीण व वंचित वर्गों के छात्रों और शहरी छात्रों के स्तर को बराबर लाने के लिए एक सुनियोजित पहल की जरूरत है। ग्रामीण छात्रों को शिक्षा के उचित संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाते। जिससे वह शहरी छात्रों से पिछड़ी अवस्था में आ जाते है और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाती। जिससे ग्रामीण छात्रों और शहरी छात्रों के बीच काफी असमानता बढ़ जाती है।
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COUNTRY FIRST,HEALTH & HYGIENE,GRATITUDE / VALUES, NOTHING IS FREE (work Hard) ENVIRONMENT, ROAD SAFETY & TRAFFIC RULES, LANGUAGE, SCIENTIFIC TEMPERAMENT & LIFE SKILLS.
Tamanna –
Under the aegis of Ministry of Education (MoE), Govt. of India, the Central Board of Secondary Education (CBSE), National Council of Educational Research and Training (NCERT), New Delhi have developed Tamanna - an Aptitude Test for Senior School Students to enable stakeholders knowing the aptitude of students of classes IX and X.
Details about use of aptitude test, dimensions measured in the test, construction and standardization of the test, administration and scoring and understanding the meaning of aptitude test scores are available in the test manual.
As a collaborative work, piloting of the aptitude test was done by the CBSE with 17,500 students studying in classes IX and X through its affiliated schools across different parts of the country.
Scoring, analysis and interpretation may be done as per the details provided in the ‘Guide for Teachers and Parents’.
Students, teachers and parents must keep in mind that the aptitude test provides information related to the strengths of students and there is no pass or fail in this test. The test should be taken voluntarily by interested students and must not be used to impose any subject etc. on the students.
ORIENTATION FOR PRINCIPALS AND MANAGEMENT
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