हरियाणा दिवस पूरे हरियाणा राज्य में 1 नवंबर को मनाया जाता है। हरियाणा राज्य बनने के पश्चयात प्रदेश ने कई नयी उपलब्धियां हासिल की।
यह वही भूमि है जहां आर्यों ने पहला स्तोत्र गाया। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया। यह भूमि महाभारत जैसे युग परिवर्तक युद्ध के साथ ही उत्तर मध्यकाल में भारत के इतिहास पर अमिट प्रभाव छोड़ने वाली पानीपत की तीन लड़ाइयों का गवाह रही।
हरि अयन (विष्णु निवास) नाम से पहचान रखने वाला यह इलाका कई उतार-चढ़ाव के बाद 1 नवंबर 1966 को हरियाणा नाम से अलग राज्य बना।
हरियाणा एक ऐतिहासिक राज्य है, जिसका इतिहास अत्यंत समृद्धि और परंपराओं से भरपूर है। इसका नाम चार खेतों से लिया गया है: हरि, यानी हरित वन, और याणा, यानी नेतृत्व, जिससे यहाँ के लोगों की महानता और परंपराओं का प्रतीक है। हमारे राज्य का गौरव उसके इतिहास, संस्कृति, और लोगों के साझा संघर्ष की कहानी में है।
हरियाणा दिवस के इस मौके पर, हमें अपने राज्य के विकास में हुए महत्वपूर्ण योगदान को याद करना चाहिए। हमारे यहाँ के वीर योद्धा, किसान, और श्रमिक अपने मेहनत और संकल्प के साथ हमारे राज्य को एक नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में मदद करते हैं ।
सन् 1857 का विद्रोह दबाने के बाद, ब्रिटिश शासन के पुन: स्थापित होने पर अंग्रेजों ने झज्जर और बहादुरगढ़ के नवाब, बल्लभगढ़ के राजा और रेवाड़ी के राव तुलाराम के क्षेत्र या तो ब्रिटिश शासन में मिला लिए या पटियाला, नाभ और जींद के शासकों को सौंप दिए। इस प्रकार 1858 में यह क्षेत्र पंजाब का हिस्सा बन गया।
स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम शर्मा की अध्यक्षता में बनी हरियाणा विकास समिति ने एक स्वायत्त राज्य की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित किया। 1960 के दशक की शुरुआत में उत्तरी पंजाब के सिख जब भाषाई आधार पर अलग राज्य की मांग करने लगे तो चौधरी देवीलाल, प्रो. शेर सिंह स्वामी ओमानंद सहित कई अन्य नेताओं ने हिन्दी भाषाई आधार पर हरियाणा राज्य की स्थापना की मांग की।
इसी आंदोलन का नतीजा रहा कि 23 सितंबर 1965 में सरकार ने हुकुमसिंह समति का गठन किया और इस प्रकार एक नवंबर, 1966 को पंजाब प्रांत के पुनर्गठन के बाद हरियाणा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
चंदगीराम, सुशील कुमार, योगेश्वरदत्त, गीता, बबीता जैसी पहलवान, बॉक्सर बिजेंद्र, मनोजकुमार, सर छोटूराम और चौधरी देवीलाल जैसे जननायक देने वाली इस धरा के वीरों ने देश की रक्षा में अतुल्य योगदान दिया है।
इस माटी से जन्मे रागिनी गायक लखमीचंद, मेहरसिंह लोक संस्कृति के वाहक बने, वहीं अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला, सरीखी अनेकानेक प्रतिभाओं ने अपने राज्य के साथ ही देश का मान भी बढ़ाया है।
यहां के लाल खेल और खेती में ही नहीं तकनीकी क्षेत्र में नित नए कीर्तिमान गढ़ रहे हैं।
10 comments:
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