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MY DEAR STUDENTS AND TEACHERS - THIS BLOG IS A DIGITAL GIFT TO YOU ALL -SO LEARN LIFE SKILLS. IMPROVE READING, WRITING, LISTENING & SPEAKING SKILLS, WORK ON SCIENCE OR/AND SOCIAL SCIENCE PROJECTS. GIVE COMMENTS BY CLICKING - NO COMMENTS- BUTTON. USE SEARCH WINDOW FOR FASTER RESULTS. TALK TO YOUR LIBRARIAN ON ANY TOPIC, ANY TIME ANYWHERE: Mob: 8901549120."If you can't go out, go within." "Work on your intrapersonal communication to master your interpersonal communication" Gratitude and blessings are key to success of hard work

Wednesday 6 September 2023

हिंदी माह पुस्तक मेला 06 सितम्बर 2023.

पढ़ने से बड़ा कोई आनंद नहीं
और
ज्ञान से बड़ी कोई ताकत नहीं.
..........

आज हिंदी माह के अंतर्गत की गतिविधियों मे से एक, NBT चल-पुस्तक प्रदर्शनी से पुस्तकालय हेतु शिक्षक एवं विद्यार्थियों द्वारा 191 पुस्तके चयन कर खरीदी गई.

जिनका पुनः प्रदर्शन 08 सितम्बर 2023 को विद्यालय प्रांगण मे किया जाऐगा.

सभी कक्षा के सभी छात्रों ने NBT पुस्तक मेला बस को अच्छे से देखा समझा और पुस्तकों को देखने, पढ़ने और खरीदने का भी आनंद लिया.

राष्ट्रीय पुस्तक न्याश का हिंदी माह मे पुस्तके भेजनें और मेला लगाने के लिए धन्यवाद..

























प्राचार्य महोदया द्वारा विधिवत उद्धघाटन किया गया और बच्चों को टॉफीयां भी बाटी गयी...





















































NBT अधिकारी द्वारा प्राचार्य महोदया को बिल के साथ एक पुस्तक भी भेंट स्वरुप प्रदान की गयी.






Sunday 3 September 2023

संस्कृत -हिंदी पखवारा आयोजन

06 सितम्बर 2023

विद्यालय कार्यक्रम:

राष्ट्रीय पुस्तक न्याश द्वारा

 चल पुस्तक प्रदर्शनी

एवं 

हिंदी विभाग द्वारा लेखक कवि परिचय प्रदर्शनी 

01 सितम्बर से 15 सितम्बर 

हिंदी साहित्य पुस्तक प्रदर्शनी

 हिंदी भाषा और देश भक्ति

कक्षा -कार्यक्रम

बुनो कहानी

सुनो कहानी

  गढ़ो कविता

पढ़ो कविता

लेखक परिचय 

कवि  परिचय

प्रातः कालीन सभा हेतु नए शब्द और विचार

 e-Gyansangrah Digital Repository





Innovation in Teaching Learning

स्वर व्यजन मात्रा ओर बारहखड़ी एक्शन के साथ 


Saturday 2 September 2023

Aditya Mission 1


ISRO

  Brochure 

 U Tube



*के. सिवन।*

के. सिवन का पूरा नाम है "कैलाश वडिवु शिवन"। कन्याकुमारी में पैदा हुए। गांव का नाम सरक्कालविलाई… परिवार गरीब था। इतना कि के सिवन की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ते थे। 8वीं तक वहीं पढ़े। आगे की पढ़ाई के लिए गांव से बाहर निकलना था। लेकिन घर में पैसे नहीं थे।


के सिवन को पढ़ने के लिए फीस जुटानी थी। इसके लिए उन्होंने पास के बाजार में आम बेचना शुरू किया। जो पैसे मिलते, उससे अपनी फीस चुकाते। इसरो चेयरमैन बनने के बाद के सिवन ने अंग्रेजी अखबार डेक्कन क्रॉनिकल से बातचीत के दौरान बताया था… आम बेचकर पढ़ाई करते करते के सिवन ने इंटरमीडिएट तो कर लिया, लेकिन ग्रैजुएशन के लिए और पैसे चाहिए थे। पैसे न होने की वजह से उनके पिता ने कन्याकुमारी के नागरकोइल के हिंदू कॉलेज में उनका दाखिला करवा दिया। जब वो हिंदू कॉलेज में मैथ्स में बीएससी करने पहुंचे, तब कहीं जाकर उनके पैरों में चप्पलें आईं। धोती कुर्ता और चप्पल। इससे पहले के सिवन के पास कभी इतने पैसे नहीं हुए थे कि वो अपने लिए चप्पल तक खरीद सकें।


सिवन ने पढ़ाई की और अपने परिवार के पहले ग्रैजुएट बने। मैथ्स में 100 में 100 नंबर लेकर आए। और फिर उनका मन बदल गया…अब उन्हें मैथ्स नहीं, साइंस की पढ़ाई करनी थी। और इसके लिए वो पहुंच गए एमआईटी यानी कि मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, वहां उन्हें स्कॉलरशिप मिली और इसकी बदौलत उन्होंने एरोऩॉटिकल इंजीनियरिंग (हवाई जहाज बनाने वाली पढ़ाई) में बीटेक किया। साल था 1980। एमआईटी में उन्हें एस नमसिम्हन, एनएस वेंकटरमन, ए नागराजन, आर धनराज और के जयरमन जैसे प्रोफेसर मिले, जिन्होंने के सिवन को गाइड किया। बी टेक करने के बाद के सिवन ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया बैंगलोर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से। जब के सिवन आईआईएस बैंगलोर से बाहर निकले तो वो वो एयरोनॉटिक्स के बड़े साइंटिस्ट बन चुके थे। धोती कुर्ता छूट गया था और वो अब पैंट शर्ट पहनने लगे थे।


ISRO यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेश के साथ उन्होंने अपनी नौकरी शुरू की। पहला काम मिला पीएसएलवी बनाने की टीम में। पीएसएलवी यानी कि पोलर सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल। ऐसा रॉकेट जो भारत के सेटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेज सके। के सिवन और उनकी टीम इस काम में कामयाब रही… के सिवन ने रॉकेट को कक्षा में स्थापित करने के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाया, जिसे नाम दिया गया सितारा। उनका बनाया सॉफ्टवेयर बेहद कामयाब रहा और भारत के वैज्ञानिक जगत में इसकी चर्चा होने लगी। इस दौरान भारत के वैज्ञानिक पीएसएलवी से एक कदम आगे बढ़कर जीएसएलवी की तैयारी कर रहे थे। जीएसएलवी यानी कि जियोसेटेलाइट लॉन्च व्हीकल। 18 अप्रैल, 2001 को जीएसएलवी की टेस्टिंग की गई। लेकिन टेस्टिंग फेल हो गई, क्योंकि जिस जगह पर वैज्ञानिक इसे पहुंचाना चाहते थे, नहीं पहुंचा पाए। के सिवन को इसी काम में महारत हासिल थी। जीएसएलवी को लॉन्च करने का जिम्मा दिया गया के सिवन को और उन्होंने कर दिखाया।


इसके बाद से ही के सिवन को ISRO का रॉकेटमैन कहा जाने लगा… इसके बाद के सिवन और उनकी टीम ने एक और प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। प्रोजेक्ट था रियूजेबल लॉन्च व्हीकल बनाना। मतलब कि लॉन्च व्हीकल से एक बार सेटेलाइट छोड़ने के बाद दोबारा उस लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल किया जा सके। अभी तक किसी भी देश में ऐसा नहीं हो पाया था। के सिवन की अगुवाई में भारत के वैज्ञानिक इसमें जुट गए थे। इस दौरान के सिवन ने साल 2006 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में आईआईटी बॉम्बे से डॉक्टरी की डिग्री हासिल कर ली। और फिर ISRO में लॉन्च व्हीकल के लिए ईंधन बनाने वाले डिपार्टमेंट के मुखिया बना दिए गए। तारीख थी 2 जुलाई, 2014।


एक साल से भी कम समय का वक्त बीता और के सिवन को विक्रमसाराभाई स्पेस सेंटर के मुखिया बना दिए गए। वो स्पेस सेंटर जिसका काम है भारत के सेटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजने के लिए व्हीकल यानी कि रॉकेट तैयार करना। वहां अभी के सिवन एक साल भी काम नहीं कर पाए कि उस वक्त के ISRO के मुखिया ए.एस. किरन कुमार का कार्यकाल पूरा हो गया। और फिर 14 जनवरी, 2015 को के सिवन को ISRO का मुखिया नियुक्त किया गया… खाली वक्त में क्लासिकल तमिल संगीत सुनने और बागवानी करने वाले के सिवन को कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। उनकी अगुवाई में ISRO ने 15 फरवरी, 2017 को एक साथ 104 सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे। ऐसा करके ISRO ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया। और इसके बाद ISRO का सबसे बड़ा मिशन था चंद्रयान 2, जिसे 22 जुलाई, 2019 को ल़ॉन्च किया गया। 2 सितंबर को चंद्रयान दो हिस्सों में बंट गया। पहला हिस्सा था ऑर्बिटर, जिसने चंद्रमा के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। दूसरा हिस्सा था लैंडर, जिसे विक्रम नाम दिया गया था। इसे 6-7 सितंबर की रात चांद की सतह पर उतरना था… सब ठीक था कि अचानक संपर्क टूट गया। और फिर जो हुआ, वो दुनिया ने देखा। भावुक पल।


ISRO चीफ पीएम मोदी के गले लगकर रो पड़े। सबकुछ उम्मीद के मुताबिक नहीं हुआ। लेकिन ये के सिवन हैं। अपनी ज़िंदगी में भी परेशानियां झेलकर कामयाबी हासिल की है। और आज दुनिया ने देखा कि कैसे के सीवन और एस सोमनाथ जैसे वैज्ञानिकों ने भारत को चंद्रमा पर पहुंचाया।


लगन और सही दिशा में की गई मेहनत, इन्सान को बुलंदियों पर पहुंचा देती है।

🌹


Thursday 31 August 2023

Veer Gatha


Click the link below for details and participation 

https://innovateindia.mygov.in/veer-gatha-3/

Friday 18 August 2023

Basic Minimum Competition Exams for a school student


 Over the Years many students approach me for admission guidance

 in their desired stream after the dates of registration and/or counselling is over.

The basic reasons of all such mistakes are: 

    • Not Knowing what Career/Stream to opt till last 
    • Focus only on academic study without a mentor.
    • Lack of confidence in studies.
    • No Experience : appearing in any competitive examination during school time
    • Will see after final academic examination - Attitude.
    • and many more.
To Overcome this Problem, Every Student must 
Follow These steps 
from class I-XII

A Student of any KVS / Govt. / Pvt. School

must fill and be able to pass these tests at the school level, 

from class I to XII

to ensure that 

his education and learning is on right track.

                        Class I-IV- LSRW

Class - V - Students 

NVS Entry Test For Class VI.

Sainik  School Entrance exam Class VI

Military school test for class VI.

                   Rai sports school 

Class - VIII-Students

NVS Entry Test For Class IX

Sainik School Test for Class IX

Military school test for class IX

Environment Olympiad by TERI.

Olympiad in all subject VI-VIII.

                  ALL OLYAMPIADS

              Class- IX-X-Students

 NTSE class X.

Class - XI-XII- Students 

KVPY class XI

KVPY class XII

NDA

                 Stream Specific Like

                                  NEET/JEET/HSEEE/.............CUT/CET/..... 

For All Your Streams

                                  Click here

                              for feLinks

                      Start Enquiring when in class XI           

                     Else you will miss it after class XII