Search This Blog

MY DEAR STUDENTS AND TEACHERS - THIS BLOG IS A DIGITAL GIFT TO YOU ALL -SO LEARN LIFE SKILLS. IMPROVE READING, WRITING, LISTENING & SPEAKING SKILLS, WORK ON SCIENCE OR/AND SOCIAL SCIENCE PROJECTS. GIVE COMMENTS BY CLICKING - NO COMMENTS- BUTTON. USE SEARCH WINDOW FOR FASTER RESULTS. TALK TO YOUR LIBRARIAN ON ANY TOPIC, ANY TIME ANYWHERE: Mob: 8901549120."If you can't go out, go within." "Work on your intrapersonal communication to master your interpersonal communication" Gratitude and blessings are key to success of hard work

Saturday, 23 April 2022

KV Students House System:


KVS FOLLOWS FOUR HOUSE SYSTEM




FOR THE PURPOSE OF 

INTER HOUSE COMPETITIONS 

IN THE SCHOLASTIC AND CO-SHOLASTIC AREAS OF EDUCATION.

EACH STUDENT SHOLUD BE AWARE OF HIS / HER HOUSE AND MUST KNOW ABOUT  

 GREAT PERSONALITIES: SHIVAJI, TAGORE, ASHOK AND  RAMAN

विध्यार्थी  हर साल अपने हाउस के बारे में  लाइब्ररी की पुस्तीका मे लिखेंगे ! 

 S........T......... A .......R...........:

Shivaji :Tagore : अशोक: रमन

............................................................................................. 

Shivaji:




Shivaji's portrait (1680s) from the collection of British Museum
Flag of the Maratha Empire.svg 1st Chhatrapati of the Maratha Empire
Reign1674–1680
Coronation6 June 1674 (first)
24 September 1674 (second)
PredecessorPosition created
SuccessorSambhaji
Born19 February 1630
ShivneriAhmadnagar Sultanate
(present-day Maharashtra, India)
Died3 April 1680 (aged 50)
Raigad FortMaratha Empire
(present-day Maharashtra, India)
Spouse
Issue8[4] (including Sambhaji and Rajaram I)
HouseBhonsle
FatherShahaji
MotherJijabai
ReligionHinduism

Shivaji Bhonsale I (Marathi pronunciation:   [ʃiʋaˑd͡ʒiˑ bʱoˑs(ə)leˑ]; c.19 February 1630 – 3 April 1680), also referred to as Chhatrapati Shivaji, was an Indian ruler and a member of the Bhonsle Maratha clan. Shivaji carved out an enclave from the declining Adilshahi sultanate of Bijapur that formed the genesis of the Maratha Empire. In 1674, he was formally crowned the Chhatrapati of his realm at Raigad Fort.

Over the course of his life, Shivaji engaged in both alliances and hostilities with the Mughal Empire, the Sultanate of GolkondaSultanate of Bijapur and the European colonial powers. Shivaji's military forces expanded the Maratha sphere of influence, capturing and building forts, and forming a Maratha navy. Shivaji established a competent and progressive civil rule with well-structured administrative organisations. He revived ancient Hindu political traditions, court conventions and promoted the usage of the Marathi and Sanskrit languages, replacing Persian in court and administration।

Shivaji's legacy was to vary by observer and time, but nearly two centuries after his death, he began to take on increased importance with the emergence of the Indian independence movement, as many Indian nationalists elevated him as a proto-nationalist and hero of the Hindus.

Read Full


Rabindranath Tagore:


रबीन्द्रनाथ टैगोर (१९२५)
स्थानीय नामরবীন্দ্রনাথ ঠাকুর
जन्म07 मई 1861
कलकत्ता (अब कोलकाता), ब्रिटिश भारत[1]l
मृत्यु07 अगस्त 1941
कलकत्ता, ब्रिटिश भारत[1]
व्यवसायलेखक, कवि, नाटककार, संगीतकार, चित्रकार
भाषाबांग्ला, अंग्रेजी
साहित्यिक आन्दोलनआधुनिकतावाद
उल्लेखनीय सम्मानसाहित्य के लिए नोबल पुरस्कार
जीवनसाथीमृणालिनी देवी (१ मार्च १८७४–२३ नवंबर १९०२)
सन्तान५ (जिनमें से दो का बाल्यावस्था में निधन हो गया)
सम्बन्धीटैगोर परिवार

हस्ताक्षरClose-up on a Bengali word handwritten with angular, jaunty letters.

Rabindranath Tagore FRAS (Bengaliরবীন্দ্রনাথ ঠাকুর/rəˈbɪndrənɑːt tæˈɡɔːr/ (listen); 7 May 1861 – 7 August 1941) was a Bengali polymath who worked as a poet, writer, playwright, composer, philosopher, social reformer and painter. He reshaped Bengali literature and music as well as Indian art with Contextual Modernism in the late 19th and early 20th centuries. Author of the "profoundly sensitive, fresh and beautiful" poetry of Gitanjali he became in 1913 the first non-European and the first lyricist to win the Nobel Prize in Literature Tagore's poetic songs were viewed as spiritual and mercurial; however, his "elegant prose and magical poetry" remain largely unknown outside Bengal He was a fellow of the Royal Asiatic Society. Referred to as "the Bard of Bengal" Tagore was known by sobriquets: Gurudev, Kobiguru, Biswakobi.

Bengali Brahmin from Calcutta with ancestral gentry roots in Burdwan district[9] and Jessore, Tagore wrote poetry as an eight-year-old.[10] At the age of sixteen, he released his first substantial poems under the pseudonym Bhānusiṃha ("Sun Lion"), which were seized upon by literary authorities as long-lost classics.[11] By 1877 he graduated to his first short stories and dramas, published under his real name. As a humanistuniversalistinternationalist, and ardent anti-nationalist,[12] he denounced the British Raj and advocated independence from Britain. As an exponent of the Bengal Renaissance, he advanced a vast canon that comprised paintings, sketches and doodles, hundreds of texts, and some two thousand songs; his legacy also endures in his founding of Visva-Bharati University.[13][14]

Tagore modernised Bengali art by spurning rigid classical forms and resisting linguistic strictures. His novels, stories, songs, dance-dramas, and essays spoke to topics political and personal. Gitanjali (Song Offerings), Gora (Fair-Faced) and Ghare-Baire (The Home and the World) are his best-known works, and his verse, short stories, and novels were acclaimed—or panned—for their lyricism, colloquialism, naturalism, and unnatural contemplation. His compositions were chosen by two nations as national anthems: India's "Jana Gana Mana" and Bangladesh's "Amar Shonar Bangla". The Sri Lankan national anthem was inspired by his work.[15]


चक्रवर्ती सम्राट अशोक:


शासनावधि269 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व
राज्याभिषेक270 ईसा पूर्व
पूर्ववर्तीबिंदुसार
उत्तरवर्तीदशरथ मौर्य
जन्म304 ईसा पूर्व
पाटलिपुत्रपटना
निधन232 ईसा पूर्व
पाटलिपुत्रपटना
समाधि
पाटलिपुत्र
जीवनसंगीदेवी
कारुवाकी
पद्मावती
तिष्यरक्षिता
संतानमहेन्द्र
संघमित्रा
तीवल
कुणाल
चारुमती
घरानामौर्य
पिताबिन्दुसार
मातासुभद्रांगी (रानी धर्मा)

चक्रवर्ती सम्राट अशोक[1] (संस्कृतअशोकः ) (ईसा पूर्व 304 से ईसा पूर्व 232) विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य (राजा प्रियदर्शी देवताओं का प्रिय) था। उनका राजकाल ईसा पूर्व 269 से, 232 प्राचीन भारत में था। मौर्य राजवंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अखण्ड भारत पर राज्य किया है तथा उनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिन्दुकुश, तक्षशिला की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी, सुवर्णगिरी पहाड़ी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश, पाटलीपुत्र से पश्चिम में अफ़गानिस्तानईरान, बलूचिस्तान तक पहुँच गया था। सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का सम्पूर्ण भारतपाकिस्तानअफ़ग़ानिस्ताननेपालबांग्लादेशभूटानम्यान्मार के अधिकांश भूभाग पर था, यह विशाल साम्राज्य उस समय तक से आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य रहा है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्व के सभी महान एवं शक्तिशाली सम्राटों एवं राजाओं की पंक्तियों में हमेशा शीर्ष स्थान पर ही रहे हैं। सम्राट अशोक ही भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट है। सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक' कहा जाता है, जिसका अर्थ है - ‘सम्राटों के सम्राट’, और यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को मिला है। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी जाना जाता है। [2][3] सम्राट अशोक ने संपूर्ण एशिया में तथा अन्य आज के सभी महाद्विपों में भी बौद्ध पन्थ का प्रचार किया। सम्राट अशोक के सन्दर्भ के स्तम्भ एवं शिलालेख आज भी भारत के कई स्थानों पर दिखाई देते है। इसलिए सम्राट अशोक की ऐतिहासिक जानकारी एन्य किसी भी सम्राट या राजा से बहूत व्यापक रूप में मिल जाती है। सम्राट अशोक प्रेम, सहिष्णूता, सत्य, अहिंसा एवं शाकाहारी जीवनप्रणाली के सच्चे समर्थक थे, इसलिए उनका नाम इतिहास में महान परोपकारी सम्राट के रूप में ही दर्ज हो चुका है।

कलिंग युद्ध के दो वर्ष पहले ही सम्राट अशोक [[भगवान बुद्ध]ने था जिससे

से प्रभावित होकर बौद्ध अनुयायी हो गये और उन्ही की स्मृति में उन्होने कई स्तम्भ खड़े कर दिये जो आज भी नेपाल में उनके जन्मस्थल - लुम्बिनी - में मायादेवी मन्दिर के पास, सारनाथ, बौद्ध मन्दिर बोधगया, कुशीनगर एवं आदी श्रीलंका, थाईलैण्ड, चीन इन देशों में आज भी अशोक स्तम्भ के रूप में देखे जा सकते है। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफ़गानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान में भी करवाया। सम्राट अशोक अपने पूरे जीवन में एक भी युद्ध नहीं हारे। सम्राट अशोक के ही समय में 23 विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई जिसमें तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कन्धार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे। इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से कई छात्र शिक्षा पाने भारत आया करते थे। ये विश्वविद्यालय उस समय के उत्कृट विश्वविद्यालय थे। शिलालेख प्रारम्भ करने वाला पहला शासक बाद में आरम्भ हुआ था। अशोक ने सर्वप्रथम बौद्ध पन्थ का सिद्धान्त लागू किया जो आज भी कार्यरत है।
और पढ़ें

चन्द्रशेखर वेंकटरमन


जन्म7 नवम्बर 1888
तिरुचिरापल्लीतमिल नाडु
मृत्यु21 नवम्बर 1970 (उम्र 82)
बंगलुरुकर्नाटकभारत
राष्ट्रीयता भारत
क्षेत्रभौतिकी
संस्थानभारतीय वित्त विभाग
इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टिवेशन ऑफ साइंस
भारतीय विज्ञान संस्थान
शिक्षाप्रेसीडेंसी कालिज
डॉक्टरी शिष्यजी एन रामचंद्रन
प्रसिद्धिरामन इफेक्ट
उल्लेखनीय सम्माननाइट बैचेलर (१९२९)
भौतिकी में नोबल पुरस्कार (१९३०)
भारत रत्न
लेनिन शांति पुरस्कार

सीवी रामन (तमिल: சந்திரசேகர வெங்கட ராமன்) (७ नवंबर१८८८ - २१ नवंबर१९७०भारतीय भौतिक-शास्त्री थे। प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष १९३० में उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रामन प्रभाव के नाम से जाना जाता है।[1] १९५४ ई. में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया तथा १९५७ में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्रदान किया था।

परिचय

चन्द्रशेखर वेंकटरामन का जन्म ७ नवम्बर सन् १८८८ ई. में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्‍ली नामक स्थान में हुआ था। आपके पिता चन्द्रशेखर अय्यर एस. पी. जी. कॉलेज में भौतिकी के प्राध्यापक थे। आपकी माता पार्वती अम्मल एक सुसंस्कृत परिवार की महिला थीं। सन् १८९२ ई. मे आपके पिता चन्द्रशेखर अय्यर विशाखापतनम के श्रीमती ए. वी.एन. कॉलेज में भौतिकी और गणित के प्राध्यापक होकर चले गए। उस समय आपकी अवस्था चार वर्ष की थी। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा विशाखापत्तनम में ही हुई। वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य और विद्वानों की संगति ने आपको विशेष रूप से प्रभावित किया।

शिक्षा

आपने बारह वर्ष की अल्पावस्था में ही मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। तभी आपको श्रीमती एनी बेसेंट के भाषण सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके लेख पढ़ने को मिले। आपने रामायणमहाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया। इससे आपके हृदय पर भारतीय गौरव की अमिट छाप पड़ गई। आपके पिता उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने के पक्ष में थे; किन्तु एक ब्रिटिश डॉक्टर ने आपके स्वास्थ्य को देखते हुए विदेश न भेजने का परामर्श दिया। फलत: आपको स्वदेश में ही अध्ययन करना पड़ा। आपने सन् १९०३ ई. में चेन्नै के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश ले लिया। यहाँ के प्राध्यापक आपकी योग्यता से इतने प्रभावित हुए कि आपको अनेक कक्षाओं में उपस्थित होने से छूट मिल गई। आप बी.ए. की परीक्षा में विश्वविद्यालय में अकेले ही प्रथम श्रेणी में आए। आप को भौतिकी में स्वर्णपदक दिया गया। आपको अंग्रेजी निबंध पर भी पुरस्कृत किया गया। आपने १९०७ में मद्रास विश्वविद्यालय से गणित में प्रथम श्रेणी में एमए की डिग्री विशेष योग्यता के साथ हासिल की। आपने इस में इतने अंक प्राप्त किए थे, जितने पहले किसी ने नहीं लिए थे।[2]

और पढ़ें

Friday, 22 April 2022

हिंदी भाषा सीखने का पहला कदम

स्वर, व्यंजन , मात्राएँ और बारहखड़ी का अभ्यास।






उम्मीद हैं यह प्रयास हमारे प्यारे -प्यारे बच्चों एवं जो भी हिंदी भाषा सीखना चाहते हैं ,
उनके लिए मददगार साबित होगा॥

(श्रीमती रेणु बाला अंगरिश )




आज के छात्रों को भी नहीं पता होगा कि भारतीय भाषाओं की वर्णमाला विज्ञान से भरी है। वर्णमाला का प्रत्येक अक्षर तार्किक है और सटीक गणना के साथ क्रमिक रूप से रखा गया है। इस तरह का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अन्य विदेशी भाषाओं की वर्णमाला में शामिल नहीं है। जैसे देखे क ख ग घ ड़ -
पांच के इस समूह को "कण्ठव्य" कंठवय कहा जाता है क्योंकि इस का उच्चारण करते समय कंठ से ध्वनि निकलती है। उच्चारण का प्रयास करें। च छ ज झ ञ -
इन पाँचों को "तालव्य" तालु कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ तालू महसूस करेगी। उच्चारण का प्रयास करें। ट ठ ड ढ ण -
इन पांचों को "मूर्धन्य" मुर्धन्य कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ मुर्धन्य (ऊपर उठी हुई) महसूस करेगी। उच्चारण का प्रयास करें। त थ द ध न-
पांच के इस समूह को दन्तवय कहा जाता है क्योंकि यह उच्चारण करते समय जीभ दांतों को छूती है। उच्चारण का प्रयास करें प फ ब भ म -
पांच के इस समूह को कहा जाता है ओष्ठव्य क्योंकि दोनों होठ इस उच्चारण के लिए मिलते हैं। उच्चारण का प्रयास करें। दुनिया की किसी भी अन्य भाषा में ऐसा वैज्ञानिक दृष्टिकोण है? हमें अपनी भारतीय भाषा के लिए गर्व की आवश्यकता है,

Earth Day _2022

Watch 












Monday, 18 April 2022

CUET 2022

 सभी अभिभावकों से निवेदन है कि जो छात्र अभी 12वी कक्षा की परीक्षा दे रहे है वो 12 वीं के बाद

 #केंद्रीय_विश्वविधालयो में पढ़ना चाहते है

 (DU,JNU,BHU,CU &other all center university) 

तो इस साल से किसी भी यूनिवर्सिटी में % के आधार पर प्रवेश नही मिलेगा .

उसके लिए  CUET की परीक्षा देनी पड़ेगी ।

उसके फ़ॉर्म open है तो हम सब का कर्तव्य बनता है की अपन उन तक ये सूचना दे। 

जिससे कोई भी student जानकारी के आभाव में रह नहीं जाए।

 National Testing Agency, NTA will begin the registration process for CUET 2022 on April 6, 2022.

 Candidates who want to apply for Common Universities Entrance Test can apply online through the official site of CUET on

Public Notice : Click here

https://cuet.nta.nic.in/

The last date to apply for the examination is till May 6, 2022. 

The examination will be held in 13 languages including Hindi, Marathi, Gujarati, Tamil, Telugu, Kannada, Malayalam, Urdu, Assamese, Bengali, Punjabi, Odia and English. The exam will be divided into three sections: section IA will have 13 languages, section IB will have 19 languages, section II will have 27 domain-specific subjects, and section III will have a general examination. 

CUET 2022:

 How to register 

Step by Step Application Guide

Candidates can follow these simple steps given below to apply. 

Visit the official site of CUET on cuet.samarth.ac.in.

Click on CUET 2022 link available on the home page.

Enter the login details and click on submit.

Fill in the application form and make the payment of application fees.

Once done click on submit.

Download the confirmation page and keep a hard copy of the same for further need.

CUET (UG) 2022 will provide a single window opportunity to students to seek admission in any of the Central Universities (CUs) across the country for various Undergraduate Programmes.


About Common University Entrance Test (CUET (UG) - 2022)

The Common University Entrance Test (CUET (UG) - 2022) is being introduced for admission into all UG Programmes in all Central Universities for academic session 2022-23 under the Ministry of Education, (MoE). The Common University Entrance Test (CUET) will provide a common platform and equal opportunities to candidates across the country, especially those from rural and other remote areas and help establish better connect with the Universities. A single examination will enable the Candidates to cover a wide outreach and be part of the admissions process to various Central Universities.

https://cuet.samarth.ac.in./

Saturday, 2 April 2022

पुस्तकालय प्रबंधन समिति

 पुस्तकालय परिपत्र -०१/ २०२२ -२३   दिनांक -०२-०४-२०२२

निम्नलिखित शिक्षको  एवं विद्यार्थियों  को पुस्तकालय की “पुस्तक खरीद एवं नीति संबंधी मार्गदर्शन एवं अनुश्रवण” के लिए गठित  कम से कम  ९  सदस्यीय समिति, सत्र २०२२-२३ में शामिल  किया गया है l

क्र. स.

विषय

अध्यापक का नाम श्री /श्रीमती / 

पद/ कक्षा

हस्ताक्षर

टिपण्णी

1

भाषा

हिंदी

जतिंदर कौर

देवदत

पि.जी.टी हिंदी

टी.जी.टी संस्कृत

 

 

2

अंग्रेजी

शैलेश नारायण

अंजू सिंह

पि .जी.टी. अंग्रेजी

टी जी. टी , अंग्रेजी

 

 

3

सा. वि

मिनाक्षी वर्मा

टी. जी. टी. स. वि

 

 

 

4

 

 

विज्ञानं/

गणित/

संगणक

हेमंत  कुमार

पि. जी. टी फिजिक्स

 

 

 

खेम कुमार

टी. जी. टी. गणित

 

 

 

दीप्ति गोयल

पि. जी. टी. संगणक

 

 

 

5

प्राथमिक

गर्विता

मलकीत

प्र. अ .

प्र. अ 

 

 

6

विद्यार्थी

 मा. शशि कुमार –IV

 कु. देविका –V

I-V

 

रीडर्स क्लब

7

विद्यार्थी

  मा.हर्षित  नैन VII

 कु. यशिता VIII

VI-VIII

 

रीडर्स क्लब

8

विद्यार्थी

  मा.विशाल –IX

 कु. रविषा –X

IX-X

 

रीडर्स क्लब

9

विद्यार्थी

............................

मिनी XII/यश चौधरी XII

XI-XII

 

रीडर्स क्लब

आपसे पुस्तकालय के उत्थान हेतु  समय समय पर संगठन नियमानुसार सहयोग की अपेक्षा है l

                                     प्राचार्य                                                                                                              

Saturday, 26 March 2022

RESULT DAY -2021-22

CONGRARTULATIONS  
TO 
ALL THE STUDENTS 
WHO HAVE BEEN PROMOTED
TO 
HIGHER CLASSES 
Get Ready with New Books Note Books 
 and New Uniform 






Thursday, 24 March 2022

YUVIKA

YUva VIgyani KAryakram (Young Scientist Programme)

GO TO ISRO WEBSITE

Indian Space Research Organisation is organising a special programme for School Children called "Young Scientist Programme" "YUva VIgyani KAryakram" , YUVIKA, to impart basic knowledge on Space Technology, Space Science and Space Applications to the younger students with a preference to rural areas. The programme is aimed at creating awareness about the emerging trends in science and technology amongst the youngsters, who are the future building blocks of our nation. ISRO has chalked out this programme to "Catch them young".The programme is also expected to encourage more students to pursue in Science, Technology, Engineering and Mathematics (STEM) based research /career.


YUVIKA - 2022: Announcement of Online Registration

(End of Registration: April 10, 2022, 04:00 p.m.)


The YUVIKA - 2022 residential programme will be of two weeks duration during summer holidays (May 16-28, 2022) and the schedule will include invited talks, experience sharing by the eminent scientists, experimental demonstration, facility and lab visits, exclusive sessions for discussions with experts, practical and feedback sessions.


The programme aims to select 150 students across the country, who are studying in class IX as on March 01, 2022 in a school located within the territory of India.


The selection of participant will be on the basis of following parameters:


Marks obtained in Class ‘VIII’ examination.

Participation in science fair (school / district / state & above level organised by school / district / state / Central government authority) in last three years.

Prize in Olympiad / Science competitions and equivalent (1 to 3 rank in last 3 years at school / district / state & above level) in last three years.

Winner of sports competitions conducted by School / Govt. / Institutions / Registered Sports federation (1 to 3 rank in last 3 years at school / district / state & above level) in last three years. Winner of online games will not be considered.

Member of Scout and guides / NCC / NSS in last three years.

Performance in online quiz.

A special weightage to students studying in school located in panchayat area will be provided.

A minimum participation will be ensured from each State / UT. The programme is planned at five centres of ISRO viz. Vikram Sarabhai Space Centre (VSSC), Thiruvananthapuram, U. R. Rao Satellite Centre (URSC), Bengaluru, Space Application Centre (SAC), Ahmedabad, National Remote Sensing Centre (NRSC), Hyderabad and North-East Space Application Centre (NE-SAC), Shillong. Towards, the end of the project, students will be taken to visit of Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota.  Expenditure towards the travel of student (II AC fare by train from nearest Rly Station to the reporting centre and back), course material, lodging and boarding etc., during the entire course will be borne by ISRO. II AC train fare will also be provided to one guardian / parent for drop and pick up of student from the reporting centre. In case the student / parent have not avail the II AC train, the reimbursement of fare will be limited to II AC train fare. 


Registration for YUVIKA -2022


The registration process of YUVIKA – 2022 includes total four steps. Candidates are advised to go through each step carefully. It is advised to complete the registration process at earliest. The candidate has to complete all four steps for completing the registration.  Incomplete application without attempting quiz and uploading the certificates will not be considered.


STEP 1: E-mail Registration for YUVIKA- 2022.


STEP 2: Read the quiz instructions. Appear in the online quiz within 48 hours of e-mail registration for YUVIKA - 2022.


STEP 3: Login to YUVIKA portal minimum after 60 minutes from quiz submission and fill all the information correctly.…

CLASS LIBRARY FOR PRIMARY CLASSES - AS PER KVS NORMS.

 KVS MANUAL ON LIBRARY

CLASS TEACHERS OF CLASS I TO V 
ARE  IS IN-CHARGE OF  THEIR CLASS LIBRARY 

1. BOOK SELF IN EACH CLASS 
2. 200 BOOKS IN EACH CLASS BOOK SELF
3. CLASS APPROPRIATE MAGAZINES ALSO
4.  RESOURCE ROOM DEPT. LIB FOR TEACHER/STUDENT
5. ACTIVITIES:
            • HANGING LIBRARY  CLASS I-III
            • PARTS OF THE BOOKS 
            • TITLE AUTHOR PUBLISHER
            • NEW AND DIFFICULT WORDS
            • CHARACTERS AND PLACES IN THE BOOKS.
            • MORAL / LEARNINGS OF BOOK
            • READING ALOUD
            • STOREY TELLING
            • BOOK REVIEWS IN NOTEBOOK 
            • CREATING A STORY OF OWN BY STUDENT
            • RECORD OF STUDENT READINGS.
            • COLOUR CODE OF CLASS LIBRARY BOOKS : 

              • CLASS I - WHITE
              • CLASS -II- BLUE
              • CLASS III- GREEN 
              • CLASS-IV- YELLOW
              • CLASS V- RED.




Thursday, 17 March 2022

 Teachers/ Counsellor recruitment in Kendriya Vidyalaya I.T.B.P.,BHANU .Those Candidates who are interested in the vacancy details & completed all eligibility criteria can read the Notification & Apply.

Kendriya Vidyalaya Vacancy Details:

Name of the post: 

1. PGT/TGT 

2 Counsellor

3. Staff Nurse &Other

Educational Qualification: Candidate Should Posses B.A/B.Sc.(Phychology) with Certificate of Diploma in Counselling.

Desirable Qualification : Required Minimum of One Year experience in Providing Career/Educational Counselling to students at schools. Or Working knowledge and experience in Placement Bureaus. Or Registration with rehabilitation Council of India as Vocational Counselor.

Selection Process: Candidates will be selected based on Walk - In Interview.

How to Apply: Eligible candidates can attend the interview along with application in the prescribed format with original documents & zerox copies of the same on 17/03/2018.

Sunday, 13 March 2022

CBSE EXAMINATION X - XII DATE SHEET 2022