आज विद्यालय में प्राचार्य महोदया शिक्षक और सभी विद्यार्थियों ने
सरदार पटेल को भावपूर्ण श्रधान्जली अर्पित करते हुए उनके कार्यों को याद किया
सरदार वल्लभ भाई पटेल 1875 – 1950
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वल्लभभाई झावेरभाई पटेल (३१ अक्टूबर १८७५ – १५ दिसम्बर १९५०), जो सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे, एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया। भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है "प्रमुख"। उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया।[1]
पटेल का जन्म नडियाद, गुजरात में एक लेवा पटेल(पाटीदार)[2] जाति में हुआ था। वे झवेरभाई पटेल एवं लाडबा देवी की चौथी संतान थे। सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई उनके अग्रज थे। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई। लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया। FOR MORE CLICK HERE
562 रियासतों का एकीकरण करने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में उनके ननिहाल में हुआ. वे खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई पटेल की चौथी संतान थे. उनकी माता का नाम लाडबा पटेल था. उन्होंने प्राइमरी शिक्षा कारमसद में ही प्राप्त की. बचपन से ही उनके परिवार ने उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया.1893 में 16 साल की आयु में ही उनका विवाह झावेरबा के साथ कर दिया गया था. उन्होंने अपने विवाह को अपनी पढ़ाई के रास्ते में नहीं आने दिया. 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की. 1900 में ज़िला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, जिससे उन्हें वकालत करने की अनुमति मिली. गोधरा में वकालत की प्रेक्टिस शुरू कर दी. जहाँ इन्होने प्लेग की महामारी से पीड़ित कोर्ट ऑफिशियल की बहुत सेवा की.1902 में इन्होने वकालत काम बोरसद सिफ्ट कर लिया, क्रिमिनल लॉयर रूप नाम कमाया. अपनी वकालत के दौरान उन्होंने कई बार ऐसे केस लड़े जिसे दूसरे निरस और हारा हुए मानते थे. उनकी प्रभावशाली वकालत का ही कमाल था कि उनकी प्रसिद्धी दिनों-दिन बढ़ती चली गई. गम्भीर और शालीन पटेल अपने उच्चस्तरीय तौर-तरीक़ों लिए भी जाने जाते थे. यंही उनके पुत्री मणिबेन का 1904 व पुत्र दह्या का 1905 में जन्म हुआ. बेरिस्टर कोर्स करने के लिए पैसों की बचत करली थी परन्तु बड़े भाई विठलभाई की इच्छा पूरी करने के लिए उनहोंने खुद न जाकर 1905 में उन्हें इग्लैंड भेज दिया.सरदार पटेल अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी, समर्पण व हिम्मत से साथ पूरा करते थे.उनके इस गुण का दर्शन हमें सन् 1909 की इस घटना से होते है.वे कोर्ट में केस लड़ रहे थे, उस समय उन्हें अपनी पत्नी की मृत्यु (11 जनवरी 1909) का तार मिला. पढ़कर उन्होंने इस प्रकार पत्र को अपनी जेब में रख लिया जैसे कुछ हुआ ही नहीं. दो घंटे तक बहस कर उन्होंने वह केस जीत लिया.बहस पूर्ण हो जाने के बाद न्यायाधीश व अन्य लोगों को जब यह खबर मिली कि सरदार पटेल की पत्नी का निधन हुआ गया.तब उन्होंने सरदार से इस बारे में पूछा तो सरदार ने कहा कि “उस समय मैं अपना फर्ज निभा रहा था, जिसका शुल्क मेरे मुवक्किल ने न्याय के लिए मुझे दिया था. मैं उसके साथ अन्याय कैसे कर सकता था.” ऐसी कर्तव्यपरायणता और शेर जैसे कलेजे की मिशाल इतिहास में विरले ही मिलती है.