Regarding
enlightening the students about the success of the Aditya Mission and highlighting the
cultural and solar significance of Makar Sankranti, the following activities, as
suggested vide letter referred above, are to be undertaken in Kendriya Vidyalayas on
the occasion of Makar Sankranti on January 14-15, 2024 in a befitting manner:
1. To conduct a Workshop or Seminar by inviting Eminent scholar(s) to engage
students in discussions and presentations.
2. To conduct traditional dances, songs, and plays associated with the Makar
Sankranti festival, incorporating the scientific aspect during the Morning Assembly.
हर साल 14 जनवरी को हम मकर संक्रांति मनाते हैं। यह एकमात्र भारतीय त्योहार है जो सौर कैलेंडर के एक निश्चित कैलेंडर दिवस पर मनाया जाता है। अन्य सभी भारतीय त्यौहार चंद्र कैलेंडर के अनुसार मनाए जाते हैं, जो सौर कैलेंडर पर उनके उत्सव के दिनों को हर साल बदलते हैं।
अंतर देखना आसान है। भारत में, हम चंद्र कैलेंडर का पालन करते हैं; चंद्रमा 29.5 दिनों में अमावस्या से अमावस्या या पूर्णिमा से पूर्णिमा तक जाता है। हमें 354 दिनों में 12 पूर्ण चंद्रमा मिलते हैं, जिससे एक चंद्र कैलेंडर वर्ष 354 दिन लंबा हो जाता है। हालाँकि, सूर्य हर 365.25 दिनों में आकाश में उसी स्थान पर लौट आता है। अत: सौर और चंद्र वर्ष में 11.25 दिनों का अंतर होता है। प्रत्येक 2.5 वर्ष, इसलिए, चंद्र कैलेंडर में एक अंतर मास (अधिक मास) जोड़ा जाता है ताकि दोनों को मोटे तौर पर सिंक्रनाइज़ किया जा सके।
वैदिक विज्ञान ये लाखों वर्षों से बताता चला आ रहा है कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर ऐसे स्थान विशेष पर पहुँचती है कि सूर्य मकर रेखा या मकर राशि में प्रवेश करता है जिसे आज का विज्ञान एक assumed line Tropic of Capricorn बोलता है । वैदिक विज्ञान को यह भी पता था कि पृथ्वी स्थैतिज्व ऐसी जगह पर होगा जब सूर्य , नक्षत्र द्वारा निकलने वाली किरणों का प्रभाव जल पर पड़कर उसे और भी अमृतमय और विशेष radiation युक्त करता है जिसमें नहाकर मनुष्य मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकता है ।
यह बात ध्यान रखिये की जितना विज्ञान अभी तक जान पाया है केवल उतना ही नहीं है , बल्कि विज्ञान मात्र 0.05% ही जान पाया है । विज्ञान मात्र कुछ ही radiations और निकलने वाली एनर्जी या waves को ही जान पाया है ।
जल पर खगोलीय पिंडों और उनके द्वारा निकलने वाली अनजान और अदृश्य किरणों या different wavelength के खगोलीय प्रकाश का क्या असर होता है यह पूर्णिमा के दौरान समुद्र के ज्वारभाटा से समझा जा सकता है ।
3. To organize art and craft activities related to Makar Sankranti
4. To conduct essay writing themed around the Sun, Makar Sankranti, and the
achievements of the Aditya Mission :
ADITYA-L1 (isro.gov.in)
UTUBE
Halo-Orbit Insertion of Aditya-L1 Successfully Accomplished (isro.gov.in)
संक्रान्ति का अर्थ है, ‘सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण (जाना)’। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है। पूरे वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं। लेकिन इनमें से चार संक्रांति मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति महत्वपूर्ण हैं। पौष मास में सूर्य का धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रान्ति रूप में जाना जाता है।
सामान्यत: भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियां चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है, मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है और इसे सम्पूर्ण भारत और नेपाल के सभी प्रान्तों में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है।
उत्तर भारत में इस पर्व को ‘मकर सक्रान्ति, पंजाब में लोहडी, गढ़वाल में खिचडी संक्रान्ति, गुजरात में उत्तरायण, तमिलनाडु में पोंगल, जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति’ कहते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, देवताओं के दिन की गणना इस दिन से ही प्रारम्भ होती है। सूर्य जब दक्षिणायन में रहते है तो उस अवधि को देवताओं की रात्रि व उत्तरायण के छ: माह को दिन कहा जाता है। सामान्यतः सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। सर्वविदित है कि पृथ्वी की धुरी 23.5 अंश झुकी होने के कारण सूर्य छः माह पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध के निकट होता है और शेष छः माह दक्षिणी गोलार्द्ध के निकट होता है।
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है। शीत के कारण से ठिठुरते लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां के पर्व त्योहार का संबंध काफी कुछ कृषि पर निर्भर करता है। मकर संक्रांति ऐसे समय में आता है जब किसान रबी की फसल लगाकर खरीफ की फसल, मक्का, गन्ना, मूंगफली, उड़द घर ले आते हैं। किसानों का घर अन्न से भर जाता है। इसलिए मकर संक्रांति पर खरीफ की फसलों से पर्व का आनंद मनाया जाता है।
मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध के निकट होता है अर्थात् उत्तरी गोलार्ध से अपेक्षाकृत दूर होता है जिससे उत्तरी गोलार्ध में रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा शीत की ऋतु होती है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर आना प्रारम्भ हो जाता है। अतएव इस दिन से उत्तरी गोलार्ध में रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा सर्दी की ठिठुरन कम होने लगती है। अतः मकर संक्रान्ति अंधकार की कमी और प्रकाश की वृद्धि का आरंभ है।
समस्त जीवधारी (पशु, पक्षी व पेड़ पौधे भी) प्रकाश चाहते हैं। संसार सुषुप्ति से जाग्रति की ओर अग्रसर होता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होती है। प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है और अन्धकार अज्ञान का।
भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है, इसलिए ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ का उद्घोष करने वाली भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतवर्ष के लोग इस दिन सूर्यदेव की आराधना एवं पूजन कर, उसके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं।
विश्व की 90% आबादी पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में ही निवास करती है अतः मकर संक्रांति पर्व न केवल भारत के लिए बल्कि लगभग पूरी मानव जाति के लिए उल्लास का दिन है। सम्पूर्ण विश्व के सभी उत्सवों में संभवतः मकर संक्रांति ही एकमात्र उत्सव है जो किसी स्थानीय परम्परा, मान्यता, विश्वास या किसी विशेष स्थानीय घटना से सम्बंधित नहीं है, बल्कि मकर संक्रांति एक ऐसी खगोलीय घटना है जो सम्पूर्ण भूलोक में नव स्फूर्ति और आनंद का संचार करती है। यद्यपि मकर संक्रांति सम्पूर्ण मानवता के उल्लास का पर्व है परंतु इसका उत्सव केवल हिन्दु समाज मनाता है क्योंकि विश्व बंधुत्व, विश्व कल्याण और सर्वे भवन्तु सुखिनः की उदात्त भावना केवल भारतीय संस्कृति की विशेषता है।
भगवद् गीता के अध्याय ८ में भगवान कृष्ण कहते हैं कि उत्तरायण के छह माह में देह त्याग करने वाले ब्रह्म गति को प्राप्त होते हैं जबकि दक्षिणायन के छह माह में देह त्याग करने वाले संसार में वापिस आकर जन्म मृत्यु को प्राप्त होते हैं।
अग्निर्ज्योतिरहः शुक्लः षण्मासा उत्तरायणम्।
तत्र प्रयाता गच्छन्ति ब्रह्म ब्रह्मविदो जनाः।।
धूमो रात्रिस्तथा कृष्ण षण्मासा दक्षिणायनम्।
तत्र चान्द्रमसं ज्योतिर्योगी प्राप्य निवर्तते।।
शुक्ल कृष्णे गती ह्येते जगतः शाश्वते मते।
एकया यात्यनावृत्ति मन्ययावर्तते पुनः।।
यही कारण था कि भीष्म पितामह महाभारत युद्ध समाप्ति के बाद मकर संक्रान्ति की प्रतीक्षा में अपने प्राणों को रोके अपार वेदना सह कर शर-शैया पर पड़े रहे थे। मान्यता यह भी है कि इस दिन यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था। कहा जाता है कि मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी और भगीरथ के पूर्वज महाराज सगर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान की थी, इसीलिए आज के दिन बंगाल में गंगासागर तीर्थ में कपिल मुनि के आश्रम पर एक विशाल मेला लगता है जिसके बारे में मान्यता है कि –“सारे तीरथ बार बार, गंगा सागर एक बार”।
सच कह रहा हूँ मित्रों, आनेवाला परीक्षा पर्व हमें अत्यंत उत्साह से मनाना है। किस प्रकार मनाना है उसका विचार करें –
कल से प्रातः नींद से जागते ही, बिस्तर पर बैठकर ही, स्वंय से कुछ बोलना है। इसे ‘स्वगत’ अथवा ‘स्वयंसूचना’ (ऑटो सजेशन) कहते हैं। बोलना क्या है? प्रथम, ईश्वर की मनःपूर्वक प्रार्थना कर उसका आभार मानना। उपकार याद करना। उसके द्वारा दिये हुए मानव देह के लिये आभार, बुद्धि रूपी वैभव प्रदत्त करने के लिये आभार, कृतज्ञता! “मैं आने वाले परीक्षा पर्व के लिये तैयार हूँ। प्रसन्नतापूर्वक इस पर्व का स्वागत करता हूँ। वर्षभर बहुत अध्ययन किया है। परिश्रम किया है, अब मुझे अच्छे प्रकार से प्रस्तुति देना है, और वह मैं भली प्रकार से कर सकता हूँ,” आपके द्वारा किया गया स्वगत सकारात्मक, प्रथम पुरुष, एकवचन,; अर्थात् मैं, मुझे और वर्तमान काल दर्शी हो! ‘मैं प्रसन्न हूँ, खुश हूँ’ कहना नहीं भूलें!
बिस्तर से उठते ही एक ग्लास गरम पानी पीयें! थोड़ा शहद और नींबू रस मिलाया जाए तो बेहतर! दिनभर में सात से आठ ग्लास पानी पीयें (बिना नींबू, शहद के)। अपना दिमाग अर्थात 78 प्रतिशत पानी, ये तो ध्यान होगा ही।
परीक्षा मेरी दुश्मन नहीं, परीक्षा मुझे निराश नहीं कर सकती। परीक्षा का सामना करने हेतु जाते समय ये बात न भूलें कि परीक्षा से अधिक सामर्थ्य शक्ति, युक्ति, बुद्धि अपने पास है।
“मेरा अभ्यास नहीं हुआ”, “उत्तर याद नहीं”, “तैयारी हुई नहीं”, ऐसा समझने की, भय पालने की आवश्यकता नहीं। ये चिंता, भय अनावश्यक है, कारण आपने तैयारी तो की हुई है। और रही बात याद न रहने वाली! तो ध्यान रखें, प्रश्नपत्र हाथ में आने पर, प्रश्न पढ़ने पर, उसका उत्तर मन के किसी कोने में छिपा बैठा होता है वह उछलकर बाहर आ जाता है, और उत्तर पुस्तिका पर उतर जाता है- इसलिये “अभ्यास हुआ नहीं”, “उत्तर याद नहीं”, आदि मन में से दूर हटा दो, अभी याद नहीं ऐसा लग रहा हो तो भी समय आने पर जरूर याद आ जायेगा इस बात का पूरा विश्वास करो। सौ प्रतिशत सच है यह बात!
अब याद करना होगा बार-बार। इस विधि को कहते हैं ‘Revision’ इस शब्द का अर्थ क्या है? इसमें दो शब्द है- ‘री’ और ‘विजन’ का अर्थ- बार-बार (पुनः) और ‘विजन’ का अर्थ ‘देखना’! ‘दिखाना’! बार-बार केवल पढ़ना ही नहीं, अपितु लिखो, याद करो।
बिस्तर पर बैठकर, तिरछे-आड़े होकर अथवा लेटे हुए पढ़ाई न करें। पैंतालिस मिनट एक ही स्थान पर बैठें, तत्पश्चात पंद्रह मिनट कॉपी-पुस्तक बंद करके घर में, आंगन में, बगीचे में, थोड़ा चलते-फिरते, स्मरण, मनन, चिंतन करें। आकृति, चित्र आंखों के समक्ष लाने का प्रयास करें, पढ़ा हुआ… किसी को बताएं, कॉपी पुस्तक की सहायता न लेते हुए जो-जो याद हो वह एक कागज पर उतारें, क्रम बद्ध लिख सकें तो बेहतर, अन्यथा जो याद हो वह शब्द, चित्र, आकृति कागज पर अंकित करें। फिर क्यों, कैसे, कारण, ऐसे प्रश्न पूछने के अंदाज से एक-दूसरे से संबंध दर्शाने का प्रयास करें। पुनः अभ्यास के लिये बैठें, पौने अथवा एक घण्टा पश्चात छोटा-सा ‘ब्रेक’, कुछ नाश्ता-पानी हेतु!
निम्नांकित में से कोई भी एक पद्धति अदल-बदल कर अपनाएं –
खड़े होकर शरीर को सभी दिशाओं में तनाव दें। (Stretch)
ठंडा पानी हाथ में लेकर चेहरे पर चार-पांच बार हल्के से फेंक (Splash) कर चेहरा धोएं और फिर धी से पोंछ लें।
आँखें बंद रखकर दोनों हथेलियाँ आपस में रगडे़ं। उष्णता निर्मित होगी। पोला सा आकार देकर आंखों पर रखें, हाथों का उष्ण स्पर्श आँखों को मिलेगा, उसका आनंद उठाइये, फिर चेहरे पर धीमे से मलते हुए आंखें धी-धीमे खोलें। दो मिनट में आप एकदम फ्रेश!
छोटा-सा विश्राम (ब्रेक) बगीचे में टहलते हुए लें, बगीचा न हो तो किसी पेड़, वनस्पति, फूलों की ओर देखते हुए आनंद लें। हरे-भरे पेड़ों के पत्तों में आपको ‘फ्रेश’ करने का जादू होता है। आवश्यकता है इस क्रिया को आनंद लेते हुए प्रसन्न मन से करने की!
अपनी पसंद का कोई गाना गुनगुनाएं अथवा सुनें, संगीत में एकाग्रता वृद्धि करने की विलक्षण क्षमता होती है, दिमाग में पोषक हल-चल होने लगती है। अध्ययन के लिये सहायक रसायन उत्पन्न होते हैं।
आलस्य अथवा सख्ती के कारण अध्ययन करने बैठने पर अपेक्षित अध्ययन नहीं होगा। इसके विपरीत आनन्द, उत्साह, सकारात्मक दृष्टि रखते हुए अभ्यास करने बैठने पर दिमाग में डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोनिन जैसे हॉरमोन्स का स्राव शुरू होता है और इसी कारण पढ़ना थकाने वाला या उबाऊ नहीं लगता।
सबसे महत्वपूर्ण बात स्वयं से एक प्रश्न पूछें, “मैं पढ़ाई क्यों करता हूँ?” पालकों की सख्ती के कारण, परीक्षा के अंक और नौकरी के लालच के कारण, अथवा स्वयं के आनंद और संतोष प्राप्ति हेतु? ‘मेरे अध्ययन’ हेतु किसी को मुझे याद दिलाने अथवा कोसने की आवश्यकता नहीं। वह मेरा है ऐसी ‘मानसिकता’ हो। आप दूसरों के लिये, दूसरों के कहने के कारण अभ्यास कर रहे है तो दिनभर में अट्ठारह घंटे ‘उस प्रकार’ से पढ़ाई की तो भी उपयुक्त नहीं होगा। ये कोई उपदेश नहीं है। ये है वैज्ञानिक सत्य, अनेक शोधकार्यों पर आधरित। FURTHER READING
The Importance of Sankranti 🏵️Festival:
1. Harvest Celebration: Sankranti is primarily a harvest festival celebrated across India.
2. Solar Transition: It marks the sun's transition into Capricorn (Makara), indicating the end of the winter solstice.
3. Cultural Diversity: Celebrated under different names in various regions - Pongal in Tamil Nadu, Lohri in Punjab, and others.
4. Auspicious Period: Considered an auspicious time for new beginnings and rituals.
5. Festive Foods: Special dishes like sesame seeds and jaggery sweets are prepared during Sankranti.
6. Kite Flying: In many regions, kite flying competitions are a popular tradition during this festival.
7. Family Reunion: Sankranti is a time for families to come together, share meals, and celebrate.
8. Bonfires and Lohri: Lohri, celebrated in Punjab, involves lighting bonfires to mark the end of winter and the lengthening of days.
9. Ritual Baths: Devotees take holy dips in rivers, symbolizing the cleansing of sins.
10. Cattle Worship: In some areas, cattle are adorned and worshipped as they play a crucial role in agriculture.
11. Uttarayan and Dakshinayan: Sankranti marks the beginning of Uttarayan, the northern journey of the sun.
12. Traditional Attire: People often dress in vibrant traditional attire during Sankranti celebrations.
13. Exchange of Gifts: Gifting is common during this festival, fostering goodwill and joy.
14. Cultural Performances: Folk dances, music, and cultural events are organized to celebrate the occasion.
15. Pongal Festival: In Tamil Nadu,
16. Pongal, a four-day harvest festival, is celebrated with much fervor.
17. Symbol of Unity: Sankranti highlights the unity in diversity, as it is celebrated with different names and customs across India.
18. Renewal of Life: The festival symbolizes the renewal of life, growth, and prosperity.
19. Agricultural Importance: Farmers express gratitude for the bountiful harvest and pray for a prosperous agricultural year.
20. Religious Significance: Many people perform puja and rituals to seek blessings during this auspicious time.
21. Joyful Atmosphere: Sankranti creates a joyful and vibrant atmosphere with a mix of cultural, religious, and social celebrations.
Information collected by Sangam Srinivas, Librarian, Kendriya Vidyalaya Kurnool.