(अंग्रेज़ी: World Ozone Day) या 'ओज़ोन परत संरक्षण दिवस' 16 सितम्बर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। धरती पर जीवन को पनपने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा है। इतिहास और भूगोल के अध्ययन से यह साफ़ है कि धरती पर जीवन की उत्पत्ति के लिए काफ़ी लंबा समय तय करना पड़ा है। लेकिन जो चीज़ इंसान को कड़ी मेहनत और प्रकृति से फल स्वरूप मिली है उसे आज खुद इंसान ही मिटाने पर लगा हुआ है। लगातार प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप कर इंसान ने खुद को प्रकृति के सामने ला खड़ा किया है जहां प्रकृति उसका विनाश कर सकती है। जंगलों, वनों की कटाई कर असंतुलन पैदा किया जा रहा है। गाड़ियों ने हवा को प्रदूषित कर कर दिया है तो वहीं उस जल को भी इंसान ने नहीं बख्शा जिसकी वजह से धरती पर जीवन संचालित होता है। प्रौद्योगिकी के इस युग में इंसान हर उस चीज़ का हरण कर रहा है जो उसकी प्रगति की राह में रोड़ा बन रही है। इसी तरह इंसान ने अपने आराम और सहूलियत के लिए उस ओज़ोन परत को भी नष्ट करने की ठान ली है जो उसे सूर्य से निकलने वाली खतरनाक पराबैगनी किरणों से बचाती है। दिनों-दिन बढ़ रही औद्योगिक गतिविधियों के कारण आज हमारे जीवन को बचाने वाली ओज़ोन परत को खतरा पैदा हो गया है।
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Monday, 16 September 2024
विश्व ओज़ोन दिवस-6 सितम्बर
(अंग्रेज़ी: World Ozone Day) या 'ओज़ोन परत संरक्षण दिवस' 16 सितम्बर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। धरती पर जीवन को पनपने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा है। इतिहास और भूगोल के अध्ययन से यह साफ़ है कि धरती पर जीवन की उत्पत्ति के लिए काफ़ी लंबा समय तय करना पड़ा है। लेकिन जो चीज़ इंसान को कड़ी मेहनत और प्रकृति से फल स्वरूप मिली है उसे आज खुद इंसान ही मिटाने पर लगा हुआ है। लगातार प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप कर इंसान ने खुद को प्रकृति के सामने ला खड़ा किया है जहां प्रकृति उसका विनाश कर सकती है। जंगलों, वनों की कटाई कर असंतुलन पैदा किया जा रहा है। गाड़ियों ने हवा को प्रदूषित कर कर दिया है तो वहीं उस जल को भी इंसान ने नहीं बख्शा जिसकी वजह से धरती पर जीवन संचालित होता है। प्रौद्योगिकी के इस युग में इंसान हर उस चीज़ का हरण कर रहा है जो उसकी प्रगति की राह में रोड़ा बन रही है। इसी तरह इंसान ने अपने आराम और सहूलियत के लिए उस ओज़ोन परत को भी नष्ट करने की ठान ली है जो उसे सूर्य से निकलने वाली खतरनाक पराबैगनी किरणों से बचाती है। दिनों-दिन बढ़ रही औद्योगिक गतिविधियों के कारण आज हमारे जीवन को बचाने वाली ओज़ोन परत को खतरा पैदा हो गया है।
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