कक्षा में बच्चों को पढ़ाने वाले एक बेहद अनुभवी औऱ विनम्र गुरु हमेशा इस बात से बचते थे कि वे अपने छात्रों से कहें कि " आपका जवाब ग़लत है "।
इसकी जगह वे कहते "आप सही उत्तर के बिलकुल करीब पहुँच चुके हैं , फ़िरभी कोई और है जो सही उत्तर दे सके " ??
वे अक़्सर किसी भी प्रश्न के गलत जवाब पर सादगी के साथ अपने छात्र के सिर पर अपना हाथ रखकर उससे कहते कि "आपका जवाब बिल्कुल सही है..... लेकिन इस सवाल के लिए नहीं बल्कि किसी दूसरे सवाल के लिए "।
उनका ऐसा मानना था कि किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होने के लिए सबसे अहम चीज़ है....." साहस , परिश्रम व आत्मविश्वास "।
गुरुजी अपने छात्रों के मनोबल को हमेशा बुलंद रखना चाहते थे औऱ उन्हें ये भलीभांति एहसास था कि अगर किसी के आत्मविश्वास को तोड़ दिया जाए तो उसके पास जीवन में पुनः वापसी का कोई रास्ता नहीं बचता।
याद रखें......एक अच्छे इंसान , एक अच्छे समाज औऱ एक अच्छे राष्ट्र की बुनियाद स्कूल से होती हैं जिसमें सबसे अहम क़िरदार गुरु ही निभाया करते हैं।
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