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Friday, 29 September 2023

PTM

 


एकल परिवार और बच्चों की पढ़ाई

आजकल बच्चों में पढ़ाई के प्रति जितनी अरुचि है, उस से ज्यादा रूचि केवल आधुनिकवाद का उपभोक्ता बन कर एक परजीवी सा जीवन यापन करने की भी है.

इसका खामियाजा न् केवल बच्चे भुगत रहे हैं बल्कि समाज के बड़े लोग भी,  बढ़ते वृद्धाश्रम, नाशमुक्ति केंद्र इसका उदहारण हैं.

कारण:

1.एक या दो बच्चे

2. Peer group की कमी

3. माता पिता की पैसे के लिए अंधी दौड़.

4. बच्चे के लिए समय का आभाव.

5 उसको पूरा करने के लिए अस्थाई विकल्प जैसे टीवी मोबाइल आया क्रेच  आदि.

6. दादा दादी रिश्तेदारों से दूरी और पति पत्नी दोनों का रोजगार.

7. बच्चों के आपसी झगड़े मे बड़ों की ईगो और फिर सुलह की बजाय avoid करने की प्रवर्ती.

8 उपरोक्त कारणों से बच्चों में जीवन कौशल (life skills) और  समस्या समाधान परीकल्पना ( PROBLEM SOLVING APTITUDE) या PSA की कमी या उत्थान न् होना.

9. परिवारों और नई पीढ़ी में वैल्यू सिस्टम को तुच्छ और उपभोक्तावाद (fashion and fast foods/ motors ) को सफलता का पैमाना मानना.....

10. कई बहनो के बाद एक भाई  या कई भाइयों मे एक बहन या सिंगल चाइल्ड लड़का या लड़की.....(और भी कई कारण हैं...............और, हो भी सकते हैं ...)

 आप अपना कारण भी जोड़ सकते या कमेंट मे बता सकते हैं..

निवारण:


ऐसे मे पढ़ाई का ध्यान कैसे और कौन रखेगा.....जबकि बच्चा अधिकतर समय घर पर ही है....और मोबाइल की तरफ प्रेरित होता हो और उसे मोबाइल  सुलभ भी है . ऐसे में आप आपने बच्चे से  प्यार से दिन मे कम से कम.......

1. एक बार साथ बैठ कर खाना ज़रूर खाएं और उस वक़्त मोबाइल टीवी नहीं.... परिवार, सकारात्मक बातचीत ताकि सबको एकदूसरे की सारी जानकारी हो....

2. दिन मे दो बार उसकी ज़रूरत के सामान का पूछे और देखें / परखें की वह क्या कर रहा है.कहीं मोबाइल ही मोबाइल या खेल ही खेल, पढ़ाई ही पढ़ाई तो नहीं जिसमे सारा समय वय्तित हो रहा है 

3. तीन बार ये ज़रूर पूछे

i) सुबह स्कूल जाते वक़्त:  क्या अपने अपना बैग टिफ़िन बुक्स नोटबुक पेंसिल पेन आदि time table के हिसाब से लगा लिया है.... "इस पर कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए".

ii) स्कूल से आने पर की आज  स्कूल मे क्या क्या हुआ.... सुबह घर छोड़ने या प्रेयर से ले कर आखिरी पीरियड या घर पहुँचने तक उस से सारा सुनिए रोज 5 मिनट ही लगते हैं.... "देखिये वह क्या अधिक और क्या कम बताता है"....

iii) रात मे सोने से पहले :क्या स्कूल का सारा काम पूरा किया? यदि नहीं तो क्यूँ? क्या उसे  बिना मोबइल के अतिरिक्त पढाई की आवश्कता या की ज़रुरत तो नहीं, 

बस! ये तीन काम,

एक बार  साथ  खाना , दो बार निगरानी हाल चाल, तीन बार स्कूल की बात / रिपोर्ट.

यदि माता पिता इतना भी नहीं कर सकते तो उन्हें परिणाम के लिए तैयार रहना होगा.

यदि आप चाहते हैं की आपका बच्चा सफल  जीवन पाए तो उसको ये १२ आदतें ज़रूर सिखने को कहें .



स्वं का आंकलन करने के लिए विद्यार्थी को उपरोक्त जैसा अपना प्रोग्रेस कार्ड खुद ही बनाना चाहिए.
परीक्षा मे अंक प्राप्त करना भी जरूरी है
जिसके लिए सारी स्कूल व्यवस्था बनाई गई है परन्तु 
यदि एक विद्यार्थी की "पढ़ने-लिखने बोलने-सुनने" की क्षमताओं का 
उचित विकास हो रहा है तो उसके अंक इसे दर्शाते भी हैं.
और बच्चा सफल जीवन जीने का अधिकारी भी बनता है....
अतः 
कक्षा अध्यापक से माता पिता
यह बात जरूर करें की बच्चे की 
  • पढ़ने
  • लिखने
  • बोलने
  • सुनने
  • ......
  • के साथ साथ
  • .......
  • जीवन कौशल
  • PSA
  • अनुशासन्
  • कर्तग्यता
 जैसी क्षमताओं को कैसे बढ़ाया या बेहतर किया जा सकता है.

आजकल ऐसा भी देखने मे आ रहा है की कक्षा v-vi से ऊपर का विद्यार्थी भी अपनी
वर्दी जूते पोलिश बेल्ट हेयर कट बैग पुस्तक अभ्यास पुस्तिका टाईमटेबल house ड्रेस होमवर्क क्लास वर्क प्री -रीडिंग पोस्ट रीडिंग डाउट पूछना स्वं के नोट्स बनाना ...... आदि
जो पढ़ाई और विद्यार्थी के अति आवश्यक अंग और कर्तव्य हैं उन्ही के प्रति लापरवाह हैं.
माता-पिता इस विषय को पैसे / प्यार से जोड़ कर देखना शुरू कर देते हैं और आँखें बंध कर लेते हैं,
(क्या आपका बच्चा यूनिफार्म पहनने के बाद स्मार्ट, गौरवान्वित, उत्साहित....लगता है )
यदि नहीं तो सोचिये!
वही प्राइवेट schools में तो हर साल वर्दी और बुक्स आदि सब की मोटी रकम उनसे वसूली जाती है तो बच्चे से इतना पूछते रहते है की वो दबाव महशुस करता है...
(कोटा स्टोरी)

माता पिता  शिक्षक और विद्यार्थी
अकेले कुछ नहीं कर सकते
मिल जायें तो क्या नहीं
कर सकते!
सोचिये!


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