PAGES

Monday, 3 January 2022

100 Days Reading Campaign.

 TARGET GROUP: 

Children studying in Balvatika to Grade VIII will be part of this campaign.

 They will further be categorised in three groups class wise: 

GROUP I: BALVATIKA TO GRADE II 

GROUP II: GRADE III TO GRADE V 

GROUP III: GRADE VI TO GRADE VIII V. 

DURATION OF THE CAMPAIGN: The reading campaign will be organised for 100 days (14 weeks) starting from January 2022 to April 2022.

AT NATIONAL LEVEL FOLLOWING ACTIVITIES WILL BE UNDERTAKEN TO KEEP THE MOMENTUM OF THE CAMPAIGN:

Organise ‘READATHON’ on the lines of Toycathon Awareness Drive:

 Press releases, Social media campaign, infographics, etc. 

Story telling by Hon’ble Education Minister, State Ministers, Chief Ministers, State Education Ministers, etc. in regional languages

Webinars on the importance of reading Video/Audio message from Children book writers (Ruskin Bond, Shudha Murthy, Nilesh Misra for story telling) 

Reading Aloud of stories by teachers as well as community members in regional languages Partnership with CSOs, FM channels, Newspapers (local and regional)

Story telling sessions to be organised by involving Parents and Grand Parents.

Celebration of 21st February as International Mother Tongue Day Kahani Padho Apni Bhasa Main (Reading story in own language) to be conducted across the country during this period.

RESOURCES: 

Various resources will be made available at FLN vertical of 

DIKSHA portal, ‘KAHANIYON KA PITARA’ etc. 

States and UTs may also explore other resources such as 

National Council of Educational Research and Training (NCERT), 

National Book Trust (NBT)

HINDI BOOKS

 Story weaver (https://storyweaver.org.in), 

Pratham books (https://prathambooks.org), 

Room to Read Cloud (https://literacycloud.org), 

eklavya FLIP BOOKS 

EKLAYA PDF BOOKS

EKLAVYA MAGAZINES- 

 यूँ तो चकमक को बड़े भी चाव से पढ़ते हैं पर मुख्यतौर पर यह 11-14 साल के इर्द-गिर्द के पाठकों को ध्यान में रखकर बुनी जाती है। चकमक बच्चों को एक समझदार इंसान के रूप में जानती है। इसलिए चकमक में दुनिया के तमाम विषयों पर सामग्री पेश की जाती है। चकमक बच्चों को महज़ परियों, राजा-रानियों के लिजलिजी भाषा में लिखे किस्से-कहानियों तक सीमित रखने की सोच पर सवाल खड़े करती है। चकमक जिस गर्मजोशी से कल्पनाशील साहित्य का इस्तकबाल करती है वैसे ही वह यथार्थ से भी अपने पाठकों को परिचित कराती चलती है। चकमक मानक, जड़ भाषा की जगह लचीली और जीवन्त भाषा की सिफारिश करती है। बच्चों से समानता की भाषा में बात करती है। चकमक में साहित्य व विज्ञान आदि के अलावा कला पर विशेष तौर पर सामग्री पेश की जाती है। कला के नाम पर बच्चों को आम तौर पर बेहद सीमित अर्थों में चित्रकला को सराह पाने के मौके मिलते हैं। वे सकारात्मक पहल की आशा से बड़ों की तरफ देखते हुए अकसर तिकोने पहाड़ों के बीच से उगते सूरजों के इर्द-गिर्द जूझते रहते हैं। चकमक उन्हें जाने-माने कलाकारों के साथ कला की दुनिया के विस्तृत सफर पर ले जाती है। जहाँ उन्हें कला के अनुभव में शामिल होने का मौका मिलता है। चकमक में कथाएँ पाठक के लिए एक अनुभव बनकर आती हैं। इन कथाओं की जड़ जीवन के ठीक पड़ोस में होती है। इसलिए उन्हें पढ़ते-सुनते हुए अपने आसपास के जीवन की गंध आती रहती है।

EKLAVYA MAGAZINES- 

etc.

FOR  FULL DETAILS  AND CLASS WISE ACTIVITIS CLIK HERE

OR

HERE

OR HERE 


week -6 Analysis of recipe 

click here

watch


No comments:

Post a Comment